Wednesday, 12 February 2025


कभी मिलकर ख़ूबसूरत पल गुजारें थे

अब नहीं यहाँ वे साथी, वो हमनफ़स!
अतीत के झरोखे में ही पल वह देखते
यादों के सहारे अकेले बैठे हैं 'मानस'!

- मनोज 'मानस रूमानी'

पिछले रविवार को हमारे 'संज्ञापन और पत्रकारिता विभाग' (पुणे विद्यापीठ),' रानडे इंस्टिट्यूट' के 'एल्युमिनी मीट - २०२५' में बैठे हम!

- मनोज कुलकर्णी

Monday, 10 February 2025

उसे कौनसा नज़र करे ग़ुलाब...?
गुलशन-ए-हुस्न की ज़ीनत है वह!

- मनोज 'मानस रूमानी'

 (वैलेंटाइन वीक!)

Friday, 7 February 2025


खिलतें रहें यूँ ही गुलाब हुस्न के..
रंगे फ़िज़ा इश्क़ की रूमानियत में


- मनोज 'मानस रूमानी'

(वैलेंटाइन वीक!)