Wednesday 28 April 2021

ख़ूबसूरत राजश्री.."तेरे ख़यालों में हम!"



अपने रूमानी हिंदी सिनेमा में मशहूर रही, एक मराठी ख़ूबसूरत अभिनेत्री याद आयी (हालांकि उसे भुला तो नहीं था) वो है राजश्री..जो अमरीकन से शादी करके वहां हमेशा के लिए चली गयी!

अपने दिग्गज फ़िल्मकार पिता व्ही. शांताराम के साथ राजश्री!
हमारे भारतीय सिनेमा के दिग्गज फ़िल्मकार व्ही. शांताराम और उस ज़माने की ख़ूबसूरत अभिनेत्री ('शकुंतला' फेम) जयश्री इनकी बेटी.. राजश्री! अपने माता-पिता के साथ १९५४ में 'सुबह का तारा' इस फ़िल्म में वो बालकलाकार की हैसियत से परदे पर आयी. बाद में पिता की फ़िल्म 'स्त्री' (१९६१) में वो षोडशा ही थी।
आगे साऊथ फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज एस. - एस. वासन निर्मित और किशोर साहू निर्देशित पारिवारिक फ़िल्म 'गृहस्ति' (१९६३) में वो नायिका के रूप में उभर आयी..जिसमे उसके नायक थे मनोज कुमार! बाद में इसी साल साहू जी की फ़िल्म 'घर बसा के देखो' में भी ये नायक-नायिका थे।

फिर १९६४ में गुलशन नंदा की उपन्यास पर एस. डी. नारंग ने बनायी 'शहनाई' (१९६४) फ़िल्म में मनोज कुमार और बिस्वजीत के साथ राजश्री आयी। इसमें बिस्वजीत-राजश्री का "ना झटको जुल्फ़ से पानी, ये मोती फूट जाएँगे..तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा, मगर दिल टूट जायेंगे.." इस रफ़ी जी ने गाए गीत में रूमानीपन ख़ूब दिखा! बाद में इसी साल राजश्री के फ़िल्मकार पिता व्ही. शांताराम ने उसे एक अनोखे रूप में नायिका की तौर पर परदे पर लाने के लिए 'गीत गाया पत्थरों ने' इस फ़िल्म का निर्माण किया। इसमें उसे शिल्पकार की प्रेरणा दिखाया है और उसके साथ नौजवान रवि कपूर को नायक के रूप में सादर किया गया..जिसे जिंतेंद्र यह नाम राजश्री ने दिया! इस फ़िल्म का शिर्षक गीत प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका किशोरी अमोणकर से खास गवाया था। यह फ़िल्म अपनी क़िस्म की कलात्मक ही थी और इसके फ़िल्मांकन के लिए सिनेमैटोग्राफर कृष्णराव वशिर्द को 'फ़िल्मफ़ेअर' पुरस्कार मिला!
पिता व्ही. शांताराम की 'गीत गाया पत्थरों ने' (१९६४) फ़िल्म में जिंतेंद्र के साथ राजश्री!

उसमें राजश्री की अदाकारी की तारीफ़ हुई। वैसे पहले ही - मनोज कुमार, बिस्वजीत जैसे अभिनेताओं के साथ आकर वो सफल अभिनेत्री हो ही गयी थी! फिर धर्मेंद्र से राज कपूर तक (उम्र से बड़े) अभिनेता के साथ वो नायिका के रूप में नज़र आयी! इसमें उसकी 'जानवर' (१९६५) यह रिबेल स्टार शम्मी कपूर के साथ रोमैंटिक म्युज़िकल हिट रही। उस ज़माने का फेमस इंग्लिश बैंड 'बीटल्स' के "आय वांना होल्ड यूअर हैंड.." इस हिट धून पर "देखो अब तो किस को नहीं है खबर.." इस गाने में शम्मी-राजश्री का डांस आकर्षक रहा! इससे अलग "मेरी मोहब्बत जवाँ रहेगी.." इस रफ़ी जी ने गाए संजीदा रूमानी गाने में इन दोनों की प्रेमभावनाएँ दिल को छू गयी!

रोमैंटिक म्युज़िकल 'जानवर' (१९६५) में राजश्री और रिबेल स्टार शम्मी कपूर!
फिर राजश्री के जीवन में एक अलग मोड़ आया! 'अराउंड दी वर्ल्ड' (१९६७) इस राज कपूर के साथ उस ज़माने की 'रोम - कॉम' की शूटिंग के दरमियान उसकी मुलाक़ात अमरीकन ग्रेग चैपमैन से हुई और उनमें इश्क़ हुआ। बाद में उसका फ़िल्मों पर से ध्यान जैसा उड़ गया! सुना है की इसी वजह से तंग आकर खुद उनके पिता शांतारामजी ने अपनी 'बूँद जो बन गएँ मोती' फ़िल्म में उसकी जगह नयी मुमताज़ को लिया! फिर राजश्री ने जितेंद्र के साथ 'गुनाहों का देवता' (१९६७) और 'सुहाग रात' (१९६८) ये फ़िल्में किसी तरह पूरी की!.. और दो साल में ही चैपमैन के साथ शादी करके वो अमरीका जाकर बस गयी!
अमरीकन ग्रेग चैपमैन के साथ शादी करके जा रही राजश्री!

शम्मी कपूर की 'ब्रह्मचारी' (१९६८) यह..
जी. पी. सिप्पी निर्मित और भप्पी सोनी ने निर्देशित की फ़िल्म राजश्री की आखरी रही! इस हिट फ़िल्म को 'फ़िल्मफ़ेअर' जैसे कई अवार्ड्स मिले; लेकिन उसे नहीं! 'बेस्ट एक्टर' मिले शम्मी के साथ "आज कल तेरे मेरे प्यार के चर्चे.." गाने में नाचनेवाली मुमताज़ को भी 'बेस्ट सपोर्टिंग' का मिला! यह है फ़िल्मी दुनिया!

ख़ैर, पिछले ३० साल राजश्रीजी अपने वैवाहिक जीवन को लॉस एंजेलिस में अच्छी एन्जॉय कर रही है! अब वह ७५ साल की हैं और उन्हें एक बेटी भी है! उनके भाई किरण शांताराम मराठी सिनेमा के क्षेत्र में निर्माता रह चुके है। ऐसा पता चला हैं की अपने पति के साथ कपडे के व्यवसाय में सफल वे अब भी सिनेमा क्षेत्र में रूचि रखती हैं!..'हैक-ओ-लैंटर्न', 'टैण्टेड लव' और 'मॉनसून' जैसी फिल्मों को सहायक रही उन्होंने 'अशोक बाय अनादर नेम' इस चिल्ड्रेन वीडियो को नरेशन भी दिया है।

'ब्रह्मचारी' (१९६८) के उस गाने में भावुक राजश्री!
फिर भी 'ब्रह्मचारी' में शम्मी कपूर, इसके 'सर्वोत्कृष्ट गायक'.. मोहम्मद रफ़ी ने गाया जो गाना राजश्री की तरफ़ देखकर गाते है..
वही हमारी उसके लिए भावनाएं हैं..

"दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर
यादों को तेरी मैं दुल्हन बनाकर
रखूँगा मैं दिल के पास.."

- मनोज कुलकर्णी

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