Wednesday 29 December 2021

एक्टिंग किंग शायद कहते होंगे..
"सुपरस्टार बरक़रार रहतें" उन्हें!


अपने लोकप्रिय भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना जी का आज ७९ वा जनमदिन! इसी महिने अपने एक्टिंग किंग दिलीप कुमार जी का ९९ वा जनमदिन था।

उन्हें सलाम!!

- मनोज कुलकर्णी


"ये जो मोहब्बत है..ये उनका है काम.!"

रुमानी दिलों कि धडकन रहे लोकप्रिय भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार..जतिन खन्ना ऊर्फ राजेश खन्नाजी को उनके जनमदिन पर उन्हीके इस प्यार भरे गीत से याद करते है.. जिसकी वह मिसाल रहे!

 
- मनोज कुलकर्णी

Saturday 25 December 2021


मौसीक़ी को जिन पर नाज़ था
नौशाद और रफ़ी वे फ़नकार थे!
नज़र उनको फूलों का गुलदस्ता
आसमाँ से आएं जो सितारें थे!

- मनोज 'मानस रूमानी'


हमारे अज़ीज़..गायक मोहम्मद रफ़ी जी का कल ९७ वा जनमदिन था और संगीतकार नौशाद जी का कल १०२ वा जनमदिन हैं!
इस अवसर पर उन्हें मेरी यह सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Tuesday 21 December 2021


एक ज़माने में 'रेडिओ सीलोन' पर..
हिंदी फ़िल्म संगीत का 'बिनाका गीतमाला'
यह पहला कॉउंटडाउन प्रोग्राम मशहूर करने वाले..'पद्मश्री' अमीन सयानी जी को.. सालगिरह मुबारक़!


- मनोज कुलकर्णी


(यहाँ वे मेरा 'चित्रसृष्टी' विशेषांक सराहते!)

Tuesday 14 December 2021

'आरके' की फ़िल्म 'मेरा नाम जोकर' (१९७०) और गीतकार शैलेन्द्र जी!

"कल खेल में हम हों न हों
गर्दिश में तारे रहेंगे सदा.."

संवेदनशील गीतकार शैलेन्द्र जी ने लिखा यह आखरी नग़्मा था..

अपने आखरी दिनों में उन्होंने 'आरके' की फ़िल्म 'मेरा नाम- जोकर' के लिए बड़ी मुश्किल से यह लिखा।

गीतकार शैलेन्द्र जी बेटे शैली के साथ!

हालांकि तब उनके १७ साल के बेटे शैली से राज कपूर ने उसे पूरा करवाया जिसने इसका मुखड़ा लिखा और अंतरें शैलेन्द्रजी ने लिखें।
तो "जीना यहाँ मरना यहाँ.." इस गाने से शैली शैलेन्द्र कम उम्र में गीतकार बने!

१४ दिसम्बर,१९६६ को शैलेन्द्र जी ने इस जहाँ को अलविदा किया और उसके चार साल बाद 'मेरा नाम जोकर' (१९७०) प्रदर्शित हुई, जिसे अब ५० साल हुए हैं।

संजोग ऐसा की, राज कपूर के जनमदिन पर शैलेन्द्रजी इस जहाँ से रुख़सत हुए थे!

ख़ैर, आज उनके स्मृतिदिन पर उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Sunday 12 December 2021

दो अज़ीम शख़्सियतों की मुलाक़ात!


१९६९ की यह दुर्लभ तस्वीर है जब 'सरहद गाँधी' अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान भारत आएं थे..
तब अपने लाजवाब अदाकार यूसुफ़ साहब (दिलीप कुमार) उनसे बड़ी अदब से मिले थे!

अब अपने अदाकारी के शहंशाह (दिलीप कुमार) की बादशाह ख़ान ('सरहद गाँधी') से जन्नत में मुलाक़ात हुई होंगी!

संजोग ऐसा की, इन दोनों अज़ीम शख़्सियतों की बस दो साल की दूरी रह गयी थी अपनी उम्र के सौ साल पुरे करने में!

ख़ैर, उनको सलाम!!

- मनोज कुलकर्णी

Saturday 11 December 2021


यूँ तो अदाकार ख़ूब हुए, हैं, रहेंगे...
अदाकारी के सरताज़ यूसुफ़ ही रहेंगे

- मनोज 'मानस रूमानी'


(अपने भारतीय सिनेमा के अभिनय सम्राट, हमारे अज़ीज़ दिलीपकुमार जी के ९९ वे - जनमदिन पर!..याद आ रही हैं उनसे हुई मुलाकातें!)

- मनोज कुलकर्णी

अब विकैट से किसीकी फिर गयी विकेट 🏏

टूट कर घायल भी हुए कई दिल! 💔

- मनोज 'मानस रूमानी'

Thursday 9 December 2021

ये क्या हुआ..कैसे हुआ..🚁

😔   🙏

Sunday 5 December 2021

'तस्वीर-ए-हिंद' दिखाती शानदार शख़्सियत!



टेलीविज़न हिंदी समाचार जगत के वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ जी गुज़र जाने की ख़बर से सदमा पहुंचा!

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर एक विश्वसनीय पत्रकारिता का चेहरा थे विनोद दुआ! दूरदर्शन पर प्रणॉय रॉय (अंग्रेजी में) के साथ उनका (हिंदी में) चुनावी विश्लेषण का कार्यक्रम काफी मशहूर हुआ। बाद में उनके 'एनडीटीवी' पर भी वार्तालाप के कई प्रोग्राम होते रहें।

हिंदी समाचार जगत में चार दशकों से ज़्यादा उनका अनूठा सफर रहा। निष्पक्ष और साफ सुधरी पत्रकारिता की वे मिसाल रहे। 'पद्मश्री' से वे सम्मानित हुए थे!

वे एक अनोखी शख़्सियत थे, जिनको राजनीति के अलावा बाकी भी कई विषयों में रूचि थी। जैसे साहित्य, शायरी, सिनेमा से संगीत, नृत्य तक! सफर और खाने के शौकीन उनके 'विनोद दुआ लाइव' के साथ 'ज़ायका इंडिया का' जैसे कार्यक्रम भी रंजक रहें। 
कुछ महिने पहले गुज़र गयी उनकी पत्नी के साथ उनका महफ़िलों में गाना लाजवाब होता था!

मुझे अब भी याद है पच्चीस साल पहले की दिल्ली में हुए अपने आंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह 'इफ्फी' की शानदार पार्टी में उनसे हुई मुलाक़ात और दिलख़ुलास बातें!

अलविदा दुआ जी!!

- मनोज कुलकर्णी

 

Friday 3 December 2021


"ऐ मेरे हमसफ़र.."

बॉलीवुड की लोकप्रिय आवाज़ गायक उदित नारायण जी, ६६ मुबारक़ हो!

- मनोज कुलकर्णी 

(उनके साथ ३० साल पुरानी मेरी तस्वीर!)

Thursday 2 December 2021

'संसार' (१९५१) फ़िल्म के इस गाने में मोहना के साथ कॉमेडियन आगा!


"लखनऊ चलो अब रानी
बम्बई का बिगड़ा पानी.!"


हाल ही में हुए अपने प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह 'इफ्फी' के समापन समारोह में जब ऊ. प्र. राज्य को पुरस्कार दिया गया तब उसपर दिखाई चित्रफीत में यह गीत बख़ूबी समाया था!

'जेमिनी' के वासन की १९५१ की फ़िल्म 'संसार' का कॉमेडियन आगा का अपनी माशूका को कहता वह गीत था। पंडित इंद्र ने लिखे इस गीत को शकर शास्त्री और पार्थसारथी के संगीत में गीता दत्त और जी. एम्. दुर्रानी ने गाया था।

अब के हालातों के मद्देनज़र इस गाने को 'सोच समझ कर' उस चित्रफित में डाला हुआ लगा!

'ब्रह्मचारी' (१९३८) इस मराठी फ़िल्म में मीनाक्षी शिरोडकर!

इसके अलावा दूसरी बात, गोवा के कलाकारों का सिनेमा में योगदान में दिग्गज मीनाक्षी शिरोडकर जी का नाम 'इफ्फी' समापन समारोह में नहीं लिया गया! महाराष्ट्र में बड़ी हुई इस अभिनेत्री मीनाक्षी जी का - पारिवारिक मूल (पेडनेकर) गोवन था!

ख़ैर, प्रादेशिक अस्मिता से परे राष्ट्रीय दृष्टिकोण से अपने सभी राज्यों की सांस्कृतिक धरोहर को हम सराहते हैं। और नज़ाकत-नफ़ासत का लखनऊ तो हमारा खास पसंदीदा हैं!

- मनोज कुलकर्णी

गुलाबी ठंड में रूमानी सपनों से..रजाई से बाहर नही आवत हैं!

"यह मुँह और मसूर की दाल" मुहावरा अब किसी के लिए याद आया!