Sunday 25 June 2023

वह नफ़ासत, नज़ाकत..शायराना इज़हार-ए-इश्क़..
हमेशा से ही रहा हैं मेरा..तसव्वुर-ए-शायराना इश्क़!


- मनोज 'मानस रूमानी'

[इसी अंदाज़ की एच.एस. रवैल जी की 'मेरे महबूब' (१९६३) इस मेरी पसंदीदा फ़िल्म की ६० वी वर्षगांठ पर यह लिखा हैं। इसमें जुबिली स्टार राजेंद्र कुमार और ख़ूबसूरत साधना ने नज़ाक़त से शायराना इश्क़ साकार किया हैं। शकील बदायुनी जी की लाजवाब शायरी नौशाद जी के संगीत में मेरे अज़ीज़ मोहम्मद रफ़ी जी तथा लता मंगेशकर जी ने गायी हैं! यह शायराना अंदाज़-ए-इश्क़ मुझे हमेशा लुभाता रहां हैं!]

- मनोज कुलकर्णी

हमारे अज़ीज़, अज़ीम फ़नकार मोहम्मद रफ़ी साहब और दिलीप कुमार..यूसुफ़ साहब को 'भारतरत्न' अर्पित हो ऐसी गुज़ारिश हैं!

मेरे 'चित्रसृष्टी' विशेषांकों में मैंने इन दोनों पर बहुत लिखा हैं तथा दिलीप कुमार जी का इंटरव्यू भी प्रसिद्ध किया हैं!!

- मनोज कुलकर्णी

पौराणिक फ़िल्म जिम्मेदारी से लिखी जाती हैं। अब प्रदर्शित ऐसी बड़ी फ़िल्म लिखनेवालों को यह समझ नहीं थी? लोगों की आलोचना स्वाभाविक हैं!

- मनोज कुलकर्णी

Monday 12 June 2023

हुस्न-ओ-इश्क़ के दरमियान इज़हार-ए-मोहब्बत का..
गुलाब ही है कुदरत ने दिया हुआ सबसे हसीन ज़रिया.!

- मनोज 'मानस रूमानी'

('रेड रोज डे' पर!)

Friday 9 June 2023

याद सूफी कवि अमीर ख़ुसरो जी की!

"जिहाल-ए-मिस्किन
मकुन ब-रंजिश.."

यह नग़्मा अब नए अंदाज़ में विशाल मिश्रा और श्रेया घोषाल ने गाएं म्यूज़िक वीडियो में सुनाई दिया!

सुनकर अच्छा लगा और याद आयी इस के मूल सूफियाना कवि अमीर ख़ुसरो जी की! उनकी "ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल, दुराये नैना बनाये बतियां" यह मूल नज़्म मशहूर हैं।

हालांकि, तीन दशक से भी पहले गुलज़ार जी ने इस पर लिखा गीत जे. पी. दत्ता जी की फ़िल्म 'गुलामी' (१९८५) में लिया गया था। इसे लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जी के संगीत में शब्बीर कुमार और लता मंगेशकर जी ने गाया था। यह काफी लोकप्रिय हुआ था!
[वैसे गुलज़ार जी का फ़िल्म 'मौसम' (१९७५) का गीत "दिल ढूँढता है फिर वही.." भी मिर्ज़ा ग़ालिब जी के "जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन" शेर से ही प्रेरित था!]

ख़ैर, चौदहवीं सदी के ख़ुसरो जी का सूफियाना असर अब भी बरक़रार हैं!
कश्मीर की ख़ूबसूरती पर उनका यह फ़ारसी उद्धरण आज भी उस सरज़मी की जैसे पहचान बन गया हैं..
"अगर फ़िरदौस बर-रू-ए-ज़मीं अस्त...
हमीं अस्त-ओ हमीं अस्त-ओ हमीं अस्त!"


ऐसे अमीर ख़ुसरो साहब को सलाम!!

- मनोज कुलकर्णी