एहसास हो रहा है..
आप लौट आयी हैं!
प्रियंका जी में आप..
हमें नज़र आ रही हैं!
- मनोज 'मानस रूमानी'
(आज अपने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के स्मृतिदिन पर उन्हें सलाम करते हुए इस आशावादी चित्र पर मैंने ग़ौर किया है!)
- मनोज कुलकर्णी
मेरे इस ब्लॉग पर हमारे भारतीय तथा पूरे विश्व सिनेमा की गतिविधियों पर मैं हिंदी में लिख रहा हूँ! इसमें फ़िल्मी हस्तियों पर मेरे लेख तथा नई फिल्मों की समीक्षाएं भी शामिल है! - मनोज कुलकर्णी (पुणे).
गीतकार (लालजी पांडे) अंजान जी! |
'बहारें फिर भी आयेंगी' (१९६६) फ़िल्म के उस गाने में धर्मेंद्र, तनुजा और माला सिन्हा! |
"आप के हसीन रुख़ पे
आज नया नूऱ है..
मेरा दिल मचल गया
तो मेरा क्या कसूर है"
रफ़ी साहब ने गाया मेरा यह पसंदीदा रूमानी गीत फिर से मन में गूंजा..
इसके गीतकार (लालजी पांडे) अंजान जी के हुए ९१ वे जनम दिन पर!
'बहारें फिर भी आयेंगी' (१९६६) इस फ़िल्म के इस गाने की विशेषताएं ये थी की, अपने टिपिकल (टांगा ट्यून) रिदम से हट कर संगीतकार ओ. पी. नैयर जी ने इसे पियानो पर कम्पोज किया था।..और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की ('डॉन', 'लावारिस', 'याराना' जैसी) हिट फिल्मों से मशहूर गीतकार अंजान जी ने (उससे पहले) इसे तरल रूमानियत से लिखा था।
'मुकद्दर का सिकंदर' (१९७८) फ़िल्म में अमिताभ बच्चन! |
वैसे जानेमाने फ़िल्मकार प्रकाश मेहरा जी की फ़िल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' (१९७८) के उनके गानें भी बड़े संजीदा थे, जिसके शीर्षक गीत में कहा गया था..
"ज़िन्दगी तो बेवफा है एक दिन ठुकराएगी
मौत मेहबूबा है अपने साथ ले कर जाएगी"
ऐसे अंजान जी को सुमनांजलि!
- मनोज कुलकर्णी
आज भी समकालीन मूल्य रखनेवाला यह कवी प्रदीपजी का गीत उसी उदात्त भावना से गाया था मन्ना डे जी ने.. उनका आज ८ वा स्मृतिदिन!
सी. रामचंद्र जी के संगीत में गाये उनके इस गाने की अहम बात ऐसी की, यह एकमात्र अपने लाजवाब अदाकार दिलीपकुमार जी पर बैकग्राउंड फ़िल्माया गया! इसके अलावा मन्नादा का कभी पार्श्वगायन नहीं हुआ दिलीपकुमार जी के लिए!
'पैग़ाम' (१९५९) इस सोशल फ़िल्म के उस गाने के सीन में दिलीप कुमार और मोतीलाल परदे पर आतें हैं।
खैऱ, मन्नादा और यूसुफ़साहब..दोनों को इससे सुमनांजलि!
- मनोज कुलकर्णी
अभिनेता-निर्देशक गुरुदत्त की फ़िल्म 'चौदहवीं का चाँद' (१९६०) में उनके साथ मुज़रा नृत्य में मीनू मुमताज़! |
मशहूर ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह जी! |
"होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो.."
जगजीत सिंह जी की शुरूआती और हिट हुई यह फ़िल्मी ग़ज़ल..मेरी एक पसंदीदा!
हालांकि नायिका के लिए कवी-नायक यह 'प्रेम गीत' (१९८१) में गाता हैं।..
'प्रेम गीत' (१९८१) फ़िल्म के "होठों से छू लो.." गाने में राज बब्बर और अनीता राज! |
लेकिन उस दौर में शायरों की यही तमन्ना रहेगी की हमारी गज़लें जगजीत सिंह जी के होठों से आएं..!
ख़ैर, अब ४० साल पुरे होकर भी उस ग़ज़ल का रुमानीपन बरक़रार हैं।
और आज जगजीत सिंह जी का १० वा स्मृतिदिन हैं।
उन्हें आदरांजलि!
- मनोज कुलकर्णी
'कागज़ के फूल' (१९५९) फ़िल्म में गुरुदत्त जी! |
'प्यासा' (१९५७) फ़िल्म में गुरुदत्त जी! |