ताजमहल पर मुख़्तलिफ़ राय के दो शायर!!
साहिर जी ने लिखा..
"एक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर..
हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़!"
तो शकील जी ने लिखा..
"एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल..
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है।"
जैसे नग़्में लिखें।
ख़ैर, हम जैसे आशिकाना मिज़ाज के जज़्बाती ताजमहल को 'मोहब्बत की लाजवाब मिसाल' ही मानते हैं!
- मनोज कुलकर्णी
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