दो मुल्कों के मान्यताप्राप्त साम्यवादी शायर!
अपने भारत के शायर साहिर लुधियानवी और पाकिस्तान के शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़! |
वास्तवता से जुड़ी अपनी कलम से उर्दू शायरी के क्षेत्र में दुनियाभर में बड़ा नाम हासिल किए..पाकिस्तान के फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ और उनसे प्रभावित..अपने भारत के यथार्थवादी शायर साहिर लुधियानवी..इनकी एक समारोह की यह दुर्लभ तस्वीर!
"और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा.."
..यह शेर फ़ैज़ साहब ने लिखा था!
जिसका असर साहिर जी ने लिखी नज़्म पर ऐसा पड़ा..
"..हज़ारों ग़म हैं इस दुनिया में..अपने भी पराये भी..
मोहब्बत ही का ग़म तन्हा नहीं..हम क्या करें.. "
'इज्जत' (१९६८) फ़िल्म के "ये दिल तुम बिन कहीं लगता नही..हम क्या करें.." इस वह नज़्म को.. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत में लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी ने गाया था! और परदे पर यह तनुजा और धर्मेंद्र पर चित्रित हुआ था!
इन दोनों पसंदीदा शायरों को सलाम!!
- मनोज कुलकर्णी
जिसका असर साहिर जी ने लिखी नज़्म पर ऐसा पड़ा..
"..हज़ारों ग़म हैं इस दुनिया में..अपने भी पराये भी..
मोहब्बत ही का ग़म तन्हा नहीं..हम क्या करें.. "
'इज्जत' (१९६८) फ़िल्म के "ये दिल तुम बिन कहीं लगता नही..हम क्या करें.." इस वह नज़्म को.. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत में लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी ने गाया था! और परदे पर यह तनुजा और धर्मेंद्र पर चित्रित हुआ था!
इन दोनों पसंदीदा शायरों को सलाम!!
- मनोज कुलकर्णी
No comments:
Post a Comment