दो मुल्कों के जानेमाने शायर!
अपने भारत के साहिर लुधियानवी और पाकिस्तान के क़तील शिफ़ाई..इन दो दिग्गज उर्दू शायरों की (दस्तखतों के साथ) यह दुर्लभ तस्वीर!
"जब भी चाहें एक नई सूरत बना लेते हैं लोग
एक चेहरे पर कई चेहरे सजा लेते हैं लोग.."
..यह शेर क़तील शिफ़ाई जी का था!
जिसपर साहिर जी ने नज़्म लिखी थी..
"जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग.."
यश चोपड़ा की मशहूर फ़िल्म 'दाग़' (१९७३) में यह लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत में लता मंगेशकर जी ने गायी थी और परदे पर शर्मिला टैगोर ने साकार की थी!
- मनोज कुलकर्णी
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