क्या कहेना हैं , क्या सुनना हैं..
मुझको पता हैं तुमको पता हैं."
पंचम याने संगीतकार आर. डी. बर्मन ने कंपोज़ की हुई आखरी रोमैंटिक ट्यून पर जावेद अख़्तर जी ने यह लिखा जिसमें प्रेमियों की दिल की बातें सरलता से कहीं गयी।
परदे पर अनिल कपूर और हसीन मनीषा कोइराला ने इसे बड़ी उत्कटता से साकार किया! इस का खूबसूरत फिल्मांकन सिनेमैटोग्राफर बिनोद प्रधान ने किया!
मेरा यह पसंदीदा गाना आज पंचम जी के ८२ वे जनमदिन पर याद आया!
उन्हें सुमनांजली!!
- मनोज कुलकर्णी
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