नशा हो ख़ूबसूरत आँखों से!
जाम के पीछे जा रहें दीवानें टीवी न्यूज़ में देखें थे..और मुझे इससे अलग़ शक्ति सामंता की फ़िल्म..
'अमर प्रेम' (१९७२) का "चिंगारी कोई भड़के.." गाने का यह रूमानी सीन याद आया था!
इसमें मदिराधीन इस हालत में आता है की पूछता है..
"मदिरा जो प्यास लगाये..
उसे कौन बुझाये.."
तब तक उसे प्यार करनेवाली ने उसका जाम अपने हाथ में लिया होता है!
आख़िर में वो उसके कंधे पर सर ऱखकर लेटे उसकी ख़ूबसूरत आँखों में देखता रहता है..
अब उसे मदिरा की नशा की जरुरत नहीं होती!
किसी हसीन चेहरे की आँखों से जो नशा होता है..वह सिर्फ़ इश्क़बाज़ों को ही मालुम!
वैसे इससे जीना अच्छा रूमानी होता है।
- मनोज कुलकर्णी
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