Monday 26 November 2018

भारत के प्रमुख फिल्म समारोह का दर्जा हासिल करे 'इफ्फी'!


'इफ्फी' में फोकस स्टेट का दर्जा पाने वाला पहला राज्य झारखण्ड बना और ऐसेही विभागीय प्रकाशझोत होंगे' इस खबर से ताज्जुब हुआ; क्योँकि इससे पहले भी यह (अच्छा) होता आ रहा था..जब 'इफ्फी' एक साल दिल्ली और एक साल किसी राज्य में हुआ करता था..और जिस राज्य में यह हुआ करता था उस राज्य के सिनेमा एवं संस्कृति पर वहां खास फोकस हुआ करता था।

तब दिल्ली के शानदार 'सीरी फोर्ट' ऑडिटोरियम में (एक ही जगह कई स्क्रीन्स में) हुआ करते अपने 'भारत के इस प्रमुख आंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह' ('इफ्फी') में विश्व सिनेमा का लुत्फ़ उठाना लाजवाब था..और जब 'इफ्फी' किसी राज्य में जाता था तब वहां की संस्कृति में घुल-मिल जाता था और वहां के सिनेमा का (विश्व सिनेमा के साथ) अच्छा प्रदर्शन करता था। इसमें हैदराबाद की मेहमान नवाज़ी से कोलकाता और त्रिवेंद्रम के सिनेमा कल्चर का अनुभव वहां जाकर सिनेमा प्रेमी लेतें थे।

पहले साल की शुरुआत में 'इफ्फी' जनवरी में हुआ करता था..जिससे विश्वका फिल्म फेस्टिवल कैलेंडर शुरू होता था! लेकिन केंद्र सरकार चलानेवालें दुसरें आने के बाद 'इफ्फी' में जगह की तरह तारीखों में भी अक्टूबर और अब नवम्बर (अवधि कम करके) ऐसे बदल होने लगे..जो असुविधाजनक होने लगा!

अब गोवा में आने के बाद 'इफ्फी' जैसे गोवा का फेस्टिवल हो गया हैं!..और वहां क्या सिनेमा-संस्कृति दिखाएंगे? यह सब 'कान्स फिल्म फेस्टिवल' का प्रतिरूप बनाना चाहतें हैं; लेकिन सिर्फ सी बिच के बगल में फिल्म फेस्टिवल वेन्यू करके वह आंतरराष्ट्रीय दर्जा कैसे प्राप्त होगा? इसलिए उस जैसी समृद्ध सिनेमा सामग्री और परिपक्व सिनेमा कंटेंट चाहीएं। फिल्म फेस्टिवल कोई कार्निवल नहीं एन्जॉय करने के लिए; बल्कि विश्व सिनेमा में हो रहें बदलाव तथा प्रगति से वाकिफ़ करने का, अपने अच्छे सिनेमा को उत्तेजित करने का और अध्ययन का महत्वपूर्ण माध्यम तथा समारोह हैं।

हालांकि कुछ निजी वजह से आमंत्रित होते हुए भी मैं पिछलें दो सालों से 'इफ्फी' में उपस्थित हो नहीं सका! लेकिन १९९५ से अपने भारत के इस प्रमुख फिल्म समारोह पर और उसमें देखें अच्छे विश्व सिनेमा पर मैंने बहोत लिखा हैं और उसके प्रति मेरी आत्मीयता की भावना हैं।

वैसे मुझे गोवा से कोई गिला नहीं..
काफी रोमैंटिक हैं! लेकिन 'इफ्फी' का 
वहां आयोजन और इसके सभी कंटेंट की तरफ देखने का दृष्टिकोन..इसमें ज्यादा परिपक्वता आने की जरुरत हैं।

नहीं तो कहेंगे..
'इफ्फी' था कभी फिल्म फेस्टिवल
जो अब बना गोवा का कार्निवल!"



अब गोल्डन ज्युबिली की तरफ जा रहें.. 
अपने 'इफ्फी' को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं!!

- मनोज कुलकर्णी 
  ['चित्रसृष्टी']

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