कहकर सुरों के शहंशाह मोहम्मद रफ़ी जी ने ४० साल पहले इस जहाँ से रुख़सत ली थी और अब..
"हम है तैयार चलो.." ऐसी उन्हें साथ देकर सुरों की मलिका लता मंगेशकर जी ने इस जहाँ को छोड़ा है!
मेरे मन में अपने इन दो अज़ीम फ़नकारों का यह अमर नग़्मा गूँज रहा हैं..
शायद चाँद के उस पार मौसीक़ी का ख़ूबसूरत जहाँ होगा उनका!
लेकिन मेरे ये दो अज़ीज अब इस दुनियां में नहीं हैं इससे मन दुखी है!
उन्हें मेरी सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
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