यथार्थ जीवनवादी साहित्यकार!
'ज्ञानपीठ पुरस्कार' प्राप्त करनेवाले वे पहले मराठी साहित्यकार थे।
'अमृतवेल' और बहुसम्मानित 'ययाति' जैसे उनके उपन्यास जीवन के प्रति देखने की दृष्टी देतें हैं।
कुछ मराठी, तेलुगु, तमिल और हिंदी फ़िल्में भी उनकी साहित्यकृतियों पर बनी। उनमे 'छाया' (१९३६), ज्वाला' (१९३८), 'देवता' (१९३९), 'अमृत', 'धर्मपत्नी' (१९४१) और 'परदेशी' (१९५३) शामिल हैं।
उन्हें विनम्र सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
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