हमारे रूमानी सिनेमा की - ख़ूबसूरत अदाकारा साधनाजी के स्मृतिदिन पर, उनके लिए कहा गया यह 'हम दोनों' इस लगभग साठ साल पुरानी - फ़िल्म का गाना आज उनके लिए ही याद आया।
जयदेवजी के संगीत में यह - गाया था..हमारे अज़ीज़ गायक मोहम्मद रफ़ीजी ने..जिन्होंने यह जहाँ छोड़कर अब चालीस साल हुएं।
यह लिखा था साहिर लुधियानवीजी ने, वो भी इस जहाँ से रुख़सत हुए अब चालीस साल हुएं।
सदाबहार अभिनेता देव आनंदजी ने अपनी इस फ़िल्म में दोहरी भूमिकाएं बख़ूबी निभायी थी।
देव आनंदजी के पुणे में हुए उस सेलिब्रेशन में उनके साथ ज्योति व्यंकटेश और मैं! |
१९९५ में देवसाहब ने अपने फ़िल्म कैरियर - (जो पुणे में शुरू हुआ था) के पचास साल यहाँ सेलिब्रेट किएं। तब हुई शानदार पार्टी में हम चुनिंदा फ़िल्म पत्रकारों के बीच वो बैठे। देर बाद जब वो जाने लगे, तो हमारे बंबई के दोस्त ने उनका वही गाना छेड़ा "अभी न जाओ छोड़ कर.."
देवसाहब गुज़र जाने को अब दस साल होंगे!
ख़ैर, फ़िल्म पत्रकारिता से ऐसी बहुत यादें है!!
- मनोज कुलकर्णी
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