जबरदस्त अदाकार अमजद ख़ान!
सत्यजीत राय की फ़िल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' (१९७७) में अमजद ख़ान! |
"कितने आदमी थे.?"
डायलॉग सुनते ही सामने आता है 'शोले' का गब्बर सिंह याने अमजद ख़ान!
रमेश सिप्पी की फ़िल्म 'शोले' (१९७५) में गब्बर अमजद ख़ान! |
भारतीय सिनेमा के एक दिग्गज कलाकार जयंत जी का यह साहबजादा था। १९५७ में 'अब दिल्ली दूर नहीं' में बतौर बालकलाकार अमजद परदे पर दिखा। फिर १९७३ में चेतन आनंद की 'हिंदुस्तान की कसम' में वो निगेटिव रोल में था। उसने जानेमाने फ़िल्मकार के. आसिफ को उनकी आखरी फिल्म 'लव एंड गॉड' के लिए असिस्ट भी किया।
संजीव कुमार और रमेश सिप्पी के साथ 'शोले' (१९७५) की शूटिंग में अमजद ख़ान! |
'याराना' (१९८१) फ़िल्म में अमिताभ बच्चन और अमजद ख़ान! |
कुछ अच्छे भले किरदार भी अमजद ख़ान ने साकार किए जैसे की १९८० में आयी 'हम से बढ़कर कौन' का भोलाराम और 'दादा' का इंटेंस रोल जिसके लिए उसने पुरस्कार जीता! बाद में 'याराना' (१९८१) में तो वो अमिताभ बच्चन का दिलदार दोस्त था। इसके लिए भी उसे अवार्ड भी मिला।
शशी कपूर की फ़िल्म 'उत्सव' (१९८४) में वात्सायन बने अमजद ख़ान! |
आख़िर दो फ़िल्में अमजद ख़ान ने निर्देशित भी की, इसमें 'अमीर आदमी, ग़रीब आदमी' (१९८५) कामयाब रही।..'एक्टर्स गिल्ड एसोसिएशन' के वे अध्यक्ष भी रहे!
दुर्भाग्य से बहोत जल्द वे इस दुनिया से रुख़सत हुए।आज उनका ८० वा जनमदिन..इसलिए यह याद!!
- मनोज कुलकर्णी
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