"ओ दूर के मुसाफ़िर हमको भी साथ ले ले.."
रफ़ी साहब के आर्त सुरों से यह गाना फिर से मन में गुँजा और याद आए.. मौसिक़ी के शहंशाह - नौशाद अली!
आज उनके स्मृतिदिन पर मेरे मन में वाक़ई उनके इस गाने जैसी भावना है!
श्रेष्ठ संगीतकार नौशादजी और गायक रफ़ीजी! |
आज उनके स्मृतिदिन पर मेरे मन में वाक़ई उनके इस गाने जैसी भावना है!
याद आ रही है उनसे मिलने की 'अनमोल घड़ी'!
उनको सुमनांजली!!
- मनोज कुलकर्णी
उनको सुमनांजली!!
- मनोज कुलकर्णी
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