सलाम-ए-पाकीज़ा!
हमारे भारतीय सिनेमा की बेहतरीन अदाकारा और शायरा महजबीं बानो याने मीना कुमारी को यह जहाँ छोड़कर आज चार तप हुएं। उनकी आख़री लाजवाब फ़िल्म 'पाकीज़ा' (१९७२) परदे पर आकर भी उतनाही अर्सा बीत गया हैं।
इस अवसर पर यह दुर्लभ तस्वीर हैं उसी के सेट पर..मीना कुमारी को उनके शौहर और इसके दिग्गज फ़िल्मकार कमाल अमरोही..'पाकीज़ा' साकार कराते हुएँ! उन दोनों के उम्र में वैसे काफ़ी अंतर था।
इस फ़िल्म को भी बनने में (१९५६ से) १६ साल लगे..बंबई में ३ फरवरी, १९७२ को
हुए इसके प्रीमियर में बड़ी मुश्किल से मीना - कुमारी शौहर अमरोहीजी के साथ
शरीक हुई!..और अगले महिनेही ३१ मार्च को.. उनका निधन हुआ। उसके बाद
'पाकीज़ा' जोर से चली!
इसमें "इन्ही लोगों ने ले लिना दुपट्टा मेरा.." कहनेवाला इस ट्रैजडी क्वीन का दर्द और.. "मौसम है आशिकाना.." का रूमानीपन कभी नहीं भुलेंगे।
उन्हें सलाम!!
- मनोज कुलकर्णी
इसमें "इन्ही लोगों ने ले लिना दुपट्टा मेरा.." कहनेवाला इस ट्रैजडी क्वीन का दर्द और.. "मौसम है आशिकाना.." का रूमानीपन कभी नहीं भुलेंगे।
उन्हें सलाम!!
- मनोज कुलकर्णी
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