"वक़्त ने किया क्या हसीं सितम
तुम रहे ना तुम..हम रहे ना हम.."
अपने भारतीय सिनेमा के एक श्रेष्ठ कलाकार गुरुदत्त जी के 'कागज़ के फूल' (१९५९) फ़िल्म का यह अभिजात गीतदृश्य याद आया!
कैफ़ी आज़मी जी ने लिखी यह नज़्म गीता दत्त जी ने गायी थी और..गुरुदत्त-वहिदा
रहमान पर सिनेमेटोग्राफर व्ही. के. मूर्ति जी ने लाजवाब फिल्मायी थी!
इस गाने की एक अजीब ख़ासियत मुझे लगती हैं..गीता दत्त जी का दर्द इसमें सुनायी देता हैं तथा गुरुदत्त और वहिदा रहमान का एक दूसरे के लिए तड़पना!
इस फ़िल्म को अब ६० साल पुरे हुएँ..और गुरुदत्त जी का आज ५५ वा स्मृतिदिन हैं!
उनके स्मृति को अभिवादन!!
- मनोज कुलकर्णी
इस गाने की एक अजीब ख़ासियत मुझे लगती हैं..गीता दत्त जी का दर्द इसमें सुनायी देता हैं तथा गुरुदत्त और वहिदा रहमान का एक दूसरे के लिए तड़पना!
इस फ़िल्म को अब ६० साल पुरे हुएँ..और गुरुदत्त जी का आज ५५ वा स्मृतिदिन हैं!
उनके स्मृति को अभिवादन!!
- मनोज कुलकर्णी
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