'रजनीगंधा' (१९७४) के शीर्षक गीत में उन फुलों के साथ विद्या सिन्हा! |
"रजनीगंधा फूल तुम्हारे"
अपने स्वाभाविक अभिनय से परिचित अभिनेत्री विद्या सिन्हा जी की अचानक निधन की ख़बर आने के बाद उनका यह गाना मन में गूँज रहा हैं..जो वाकई में "महके यूँही जीवन में.." ऐसा उस गाने की दूसरी पंक्ति जैसा बरक़रार है और साकार करनेवाली की मोहक शीतल सुंदरता भी!
बासु चटर्जी की फ़िल्म 'छोटी सी बात' (१९७५) में विद्या सिन्हा..मोहक शीतल सुंदरता! |
१९७४ के दरमियान किरण कुमार के साथ 'राजा काका' नामक फ़िल्म से विद्या
सिन्हा बड़े परदे पर आयी; लेकिन उसके बाद आयी बासु चटर्जी की फ़िल्म..
'रजनीगंधा' से उसकी सही मायने में दर्शकों को अच्छी पहचान हुई। हिंदी
लघुकथा लेखक मन्नु भंडारी की कहानी 'यही सच है' पर आधारित यह फ़िल्म पूरी
तरह नायिका प्रधान थी। बाद में इसके (मध्यम वर्ग साधारण) नायक अमोल पालेकर के साथ फिर से
बासुदा की ही 'छोटी सी बात' (१९७५) में उसके स्वाभाविक अभिनय ने मोह लिया!
महानगरों में कार्यरत महिला तथा मध्यम वर्ग जनजीवन से जुड़ी ये फ़िल्मे
समानांतर सिनेमा के काल में अच्छी सफ़ल रही।
इसके बाद १९७७ में
जाने माने फ़िल्मकार बी. आर. चोपड़ा ने अपनी फ़िल्म 'कर्म' में राजेश खन्ना और
शबाना आज़मी के साथ विद्या सिन्हा को अनोखे क़िरदार में पेश किया। फिर मुख्य
प्रवाह की फ़िल्मो में उसका प्रवेश हुआ और..
इसी साल राज तिलक की 'मुक्ति' में वह संजीव कुमार और शशी कपूर के साथ आयी। बाद में विख्यात जापानी फ़िल्मकार अकिरा कुरोसवा की 'हाई एंड लो' (१९६३) पर राज एन. सिप्पी ने बनायी बॉलीवुड रीमेक 'इन्कार' में वह विनोद खन्ना की नायिका हुई..इस हिट फ़िल्म के उनके "छोडो ये निगाहों का इशारा.." गाने में वह ख़ूब जची!
लेकिन विद्या सिन्हा का स्वाभाविक अभिनय ज्यादा खुला वास्तविक जीवन से जुड़ी
समानांतर फ़िल्मों में! १९७८ में उसने 'बी. आर.' की फ़िल्म 'पति पत्नि और
वोह' में संजीव कुमार और रंजीता के साथ समझदार पत्नि का क़िरदार बख़ूबी
निभाया! इसी दरमियान उसने गुलज़ार की 'क़िताब (१९७७) में उत्तम कुमार के साथ
और 'मीरा' (१९७९) में हेमा मालिनी के साथ भूमिकाएं की।
१९८० के दशक में फैमिली 'स्वयंवर' और रामसे की हॉरर 'सबूत' ऐसी फ़िल्मे करते करते..कुमार गौरव-विजयता पंडित की फ़िल्म 'लव स्टोरी' में माँ की भूमिका में वह आयी। बीच में कुछ साल वह सिनेमा से दूर भी रही और ऑस्ट्रेलिया गई! बाद में भारत लौटने पर उन्होने टेलीविज़न पर काम शुरू किया..जिसमें 'बहुरानी', 'काव्यांजली', 'हार जीत' और 'क़ुबुल है' जैसे धारावाहिक तथा कार्यक्रम शामिल थे।
हालांकि, सिनेमा में आयी शादीशुदा विद्या सिन्हा का फ़िल्म कैरियर इतना लंबा
नहीं रहा। कुल ३० फिल्मों में उन्होंने काम किया। २०११ में आयी
'बॉडीगार्ड' यह.. सलमान खान और करिना कपूर की फ़िल्म उनकी आख़री रही। फ़िल्मो के
सम्मानों में उनकी इतनी दखल नहीं ली गयी इसका दुख है!
बासुदा से जब मेरी मुलाकात हुई तब 'रजनीगंधा' इस उनकी पसंदीदा फ़िल्म का ख़ास ज़िक्र हुआ! यक़ीनन उसकी महक बरक़रार रहेगी।
विद्या जी को मेरी सुमनांजली!!
- मनोज कुलकर्णी
'इन्कार' (१९७७) के "छोडो ये निगाहों का इशारा" गाने में विनोद खन्ना और विद्या सिन्हा! |
इसी साल राज तिलक की 'मुक्ति' में वह संजीव कुमार और शशी कपूर के साथ आयी। बाद में विख्यात जापानी फ़िल्मकार अकिरा कुरोसवा की 'हाई एंड लो' (१९६३) पर राज एन. सिप्पी ने बनायी बॉलीवुड रीमेक 'इन्कार' में वह विनोद खन्ना की नायिका हुई..इस हिट फ़िल्म के उनके "छोडो ये निगाहों का इशारा.." गाने में वह ख़ूब जची!
बी.आर.चोपड़ा की फ़िल्म 'पति पत्नि और वोह' (१९७८) में संजीव कुमार और विद्या सिन्हा! |
१९८० के दशक में फैमिली 'स्वयंवर' और रामसे की हॉरर 'सबूत' ऐसी फ़िल्मे करते करते..कुमार गौरव-विजयता पंडित की फ़िल्म 'लव स्टोरी' में माँ की भूमिका में वह आयी। बीच में कुछ साल वह सिनेमा से दूर भी रही और ऑस्ट्रेलिया गई! बाद में भारत लौटने पर उन्होने टेलीविज़न पर काम शुरू किया..जिसमें 'बहुरानी', 'काव्यांजली', 'हार जीत' और 'क़ुबुल है' जैसे धारावाहिक तथा कार्यक्रम शामिल थे।
परिपक्व अभिनेत्री विद्या सिन्हा! |
बासुदा से जब मेरी मुलाकात हुई तब 'रजनीगंधा' इस उनकी पसंदीदा फ़िल्म का ख़ास ज़िक्र हुआ! यक़ीनन उसकी महक बरक़रार रहेगी।
विद्या जी को मेरी सुमनांजली!!
- मनोज कुलकर्णी
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