Friday 21 September 2018


विशेष लेख:


'लैला मजनु' की अमर दास्ताँ!



- मनोज कुलकर्णी



अपनी मेहबूबा के लिए प्यार की दीवानगी बयाँ करनेवाली 'लैला मजनु' की दास्तान अमर हैं.और पीढ़ी दर पीढ़ी जवाँ दिलों के आशिक़ाना मिज़ाज रिझाती रहीं हैं। हमारे रूपहले परदे पर तो वह तब से व्यक्त होती आ रहीं हैं जब सिनेमा बोलता भी नहीं था!..अब हाल ही में अली भाइयों की इस युग की 'लैला मजनु' प्रदर्शित हुई हैं!
'लैला मजनु'  (१९३१) में जहाँआरा और ग़ज़नवी!

कई सदियों पहले 'लयला ओ मजनून' इस मूल पर्शियन नाम से यह प्रेमकाव्य शायर नेज़ामी गंजवी ने लिखा था। दरअसल ७वे शतक के बेडोविन कवि क़ैस इब्न अल-मुलव्वाह और उसकी मेहबूबा लैला बिन्त महदी (या लैला अल-आमिरिया) की अरब प्रेमकथा पर यह आधारित था। रोमैंटिक इंग्लिश कवि लार्ड बायरन ने इसे पूरब की 'रोमियो एंड जूलिएट' संबोधा था!
तेलुगु 'लैला मजनु' (१९४९) में 
ए. नागेश्वरा राव और भानुमती! 

रूमानी सिनेमा 'लैला मजनु' के प्यार में न पड़ता तो नवल था! सबसे पहले मूकपट के ज़माने में १९२२ के दरमियान जे. जे. मदान ने इस पर फ़िल्म बनायी..जिसमें एच. डब्ल्यू. वारिंग और मिस डोट फोय ने काम किया था। फिर से १९२७ में मणिलाल जोशी ने भी इस कथा को परदे पर लाया! इसके बाद १९३१ में बोलपट का जमाना आते ही फ़िल्मकार कांजीभाई राठोड ने हिंदी में 'लैला मजनु' का निर्माण किया। 
इसमें ग़ज़नवी और जहाँआरा कज्जन ने भूमिकाएं निभाई थी।
हिंदी 'लैला मजनु' (१९५३) में नूतन और शम्मी कपूर!








धीरे धीरे प्रादेशिक सिनेमा में भी 'लैला मजनु' आएं..जिसमें १९४९ में 'भरनी पिक्चर्स' के बैनर तले निर्माता-निर्देशक पी. एस. रामकृष्ण राव ने तेलुगु में यह फिल्म बनायी। इसमें अक्किनेनी नागेश्वरा राव और भानुमती  रामकृष्ण उन भूमिका में थे, तथा इसे संगीत दिया था सी. आर. सुब्बूरामन ने। यह फिल्म बाद में तमिल में भी बनी..जिसके संवाद और गीत एस. डी. सुन्दरम ने लिखे थे। इसके बाद १९५० में एफ. नागूर ने भी तमिल में यह फिल्म बनायी..जिसमें टी आर महालिंगम और एम्. वी. राजम्मा ने वह भूमिकाएं की। यह दाक्षिणात्य भाषाओँ की 'लैला मजनु' फ़िल्में हिट रहीं!
'दास्तान-ए-लैला मजनु' (१९७४) में 
कँवलजीत और अनामिका!

१९५३ में के. अमरनाथ ने हिंदी में 'लैला मजनु' का निर्देशन किया..जिसमें नूतन और शम्मी कपूर इस भूमिका में नज़र आएं। इसमें शम्मी (हिट "याहू" इमेज से पहले) मूछ में संवेदनशील प्रेमी के रूप में दिखाई दिया! शक़ील बदायुनी ने इसके गीत लिखें थें और सरदार मलिक ने इसे संगीत दिया था। इसके आशा भोसले और तलत महमूद ने गाएं "देख ली ए इश्क़ तेरी मेहरबानी.." और "चल दिया कारवाँ.." गानें दिल के तार छेड़के गएँ!
'लैला मजनु' (१९७४) में वाहिद मुराद और रानी!

१९७४ में 'दास्तान-ए-लैला मजनु' नाम से आर. एल. देसाई ने इस पर फ़िल्म बनायी, जिसमें अनामिका और कँवलजीत ने वह किरदार अदा किएँ। जां निसार अख़्तर ने इसके गीत लिखें थे और इक़बाल कुरैशी ने इसका संगीत दिया था। इसके मोहम्मद रफ़ी और सुमन कल्याणपुर ने गाएं "पुकारती हैं मोहब्बत क़रीब आ जाओ.." जैसे गीत मशहूर हुएँ! बाद में अपने लोकप्रिय हिंदी सिनेमा में इस पर फ़िल्में बनती ही रहीं! इसी साल सईद अता-उल्लाह शाह हाश्मी निर्मित और हस्सन तारिक़ निर्देशित 'लैला मजनु' फ़िल्म भी हुई..जिसे लिखा था सैफ़ुद्दीन सैफ़ ने और उन्हीनेही लिखें इसकें गीत संगीतबद्ध किएं थे निस्सार बज़्मी ने! इसमें रानी और वाहिद मुराद ने भूमिकाएं निभायी थी!
रवैल की बेहतरीन फ़िल्म 'लैला मजनु' (१९७६) में ऋषि कपूर और रंजीता!

इन सबमें मेरी सबसे पसंदीदा फ़िल्म हैं ('मेरे मेहबूब' फेम) एच. एस. रवैल ने १९७६ में बनायी हुई क्लासिक 'लैला मजनु'! उन्हीने जानेमाने अब्रार अल्वी और अंजना रवैल के साथ यह लिखीं थी। इसमें ख़ूबसूरत रंजीता और रूमानी ऋषि कपूर ने वह किरदार बख़ूबी साकार किएँ थें। इसकी और ख़ासियत थी गानें..जो लिखें थे साहिर लुधियानवी ने और मदन मोहन तथा जयदेव ने उन्हें संगीत से सजाया था! इसके मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर ने गाएं "इस रेशमी  पाज़ेब की झंकार.." और "हुस्न हाज़िर हैं मोहब्बत की सजा पाने को.." जैसे गीत लाज़वाब रहें। तथा इस पर ऋषि- रंजीता के जज़्बाती भाव दिल को  छूँ गएँ। यह फ़िल्म सुपरहिट और सदाबहार रहीं! जब भी मैं इसके गानें देखता हूँ..रूमानी हो जाता हूँ!

नई 'लैला मजनु' में तृप्ति डिमरी और अविनाश तिवारी!
अब नई 'लैला मजनु' प्रदर्शित हुई हैं। प्रीति अली और एकता कपूर निर्मित इस फ़िल्म को आज के जानेमाने फ़िल्मकार इम्तियाज़ अली ने अपने भाई-निर्देशक साजिद अली के साथ लिखा हैं! कहतें हैं इस प्रेम कहानी को नया आयाम दिया हैं! हालाकि मैंने अभी तक यह देखीं नहीं हैं; लेकिन तृप्ति डिमरी और अविनाश तिवारी ने इन किरदारों में वह प्यार का जुनून भरा हैं ऐसा इसकी झलकियाँ में तो नज़र आता हैं!

कुछ भी हो 'लैला मजनु' होतें रहें..क्यों की ऐसे प्रेमी मरतें नहीं!!

- मनोज कुलकर्णी
   ['चित्रसृष्टी']






No comments:

Post a Comment